Wednesday, June 10, 2020

बिहार में IAS बनना आसान है मगर शिक्षक बनना मुश्किल।

बिहार में IAS बनना आसान है मगर शिक्षक बनना मुश्किल।

बिहार में शिक्षक बनने का ख्वाब सब बिहारी बेरोजगार शुरू से नहीं देखता बल्कि उसे दिखाया जाता है, हर रोज अखबारों में शिक्षको के खाली पदों को दिखाया जाता है और बिहारी बेरोजगारों को ललचाया जाता है- और यह सीधे-साधे बेरोजगार बिहारी ललच भी जाते हैं।

बिहारी छात्रों को बेरोजगारी से ऊपर उठने के लिए खोजना पड़ता हैं वह सीढ़ी जिसका ख्वाब सरकार अखबारों में पहले ही दिखा चुकी होती है।

बेरोजगार छात्रों को इस ख्वाब को पूरा करने के लिए सबसे पहली सीढ़ी है टीचर्स ट्रेनिंग,अर्थात वह बीएड करें या तो डीएलएड करें।
साहब यह सीढ़ी चढ़ना इतना आसान नहीं है, इसके लिए फॉर्म भरना पड़ेगा,परीक्षा देना पड़ेगा, पास करना पड़ेगा, और तो और अंत में नामांकन के लिए फिश के रूप में  लाखों रुपए भी देना पड़ेगा।

लालच क्या नही कराएगा,सरकार के द्वारा अखबार में दिए हुए लालच में पड़कर बिहारी छात्रों को बीएड और डीएलएड में नामांकन भी लेना पड़ता है,
साहब एक बात बोलूं जिस समय यह बच्चे  नामांकन लेकर ट्रेनिंग कर रहे होते हैं तो इनका दिमाग इस समय सातवें आसमान पर होता है जानते हैं क्यों? क्योंकि यह अपने आप को अब बेरोजगारों की श्रेणी से हटा कर प्रशिक्षित शिक्षक अभ्यथी की श्रेणी में लाकर खड़ा कर लेते हैं अर्थात ये अपने गाँव के नोकरीया लड़को के बराबरी करने लगते है शायद सोच रहे होते है कि ई जितना ई घूस देकर नौकरी लिया है उतना तो हम बीएड-डीएलएड का नामांकन फिश कॉलेज में जमा किये है, मगर मेरे समझ से इन बेचारो की नादानी और नासमझी की शुरुआत यहीं से जाती है।

लाखों रुपए कर्ज लेकर ट्रेनिंग कॉलेजों में नामांकन तो करवाना पड़ेगा,दिन रात पढ़ाई कर कोर्स भी पूरा करना पड़ेगा ,लेकिन जब छात्रों को 24 माह बाद बीएड डीएलएड की परीक्षा देने की बारीआएगी तो सरकार ही सो जाएगी अर्थात इनकी परीक्षा से किसी का लेना देना ही नहीं, अब क्या करेंगे बेचारे लाखों लगाए हैं,पढ़ाई भी की है, तो परीक्षा के लिए जोर तो लगाना ही पड़ेगा, हंगामा तो करना पड़ेगा, आंदोलन तो करना पड़ेगा,तब जाकर इनका परीक्षा होगा और हां यहीं पर बोल देता हूं  उस परीक्षा का रिजल्ट भी आएगा कब जब एक बार और हंगामा कीजियेगा तब..

हंगामा के बाद सर्टिफिकेट तो आ जाएगा आपके हाथों  में मगर अब बिहार सरकार द्वारा शिक्षकों की भर्ती आए तब आपकी बात बनेगी यहां तो बिहार सरकार अखबारों में अंधाधुंध प्रचार करने के बाद 8 साल में एक बार शिक्षक की भर्ती निकालती है, महाशय इसी को टीईटी कहते हैं यानी  टीईटी मतलब शिक्षक पात्रता परीक्षा। किस्मत ठीक रहा उम्र बचा तो, फॉर्म भरकर, दिन रात किताबो में आंख गड़ाकर पढ़ने के बाद शिक्षक पात्रता परीक्षा भी दीजियेगा मगर आपको इन्तेजार करना पड़ेगा उस पल का जब शिक्षा विभाग TET का रिजल्ट दे और आपका किस्मत ही बदल दे।

मालिक अब मैदान ए जंग शुरू होगा,क्योंकि बिहार में सरकार बेरोजगारों की इतनी जल्दी किस्मत कहा बदलने देगी?

मान लीजिए अभ्यर्थियों के अथक प्रयास  के बाद शिक्षा विभाग रिजल्ट जारी भी कर देता है तो उस रिजल्ट को मानने के लिए अनुत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थी का एक खेमा तैयार ही नहीं होगा  क्योंकि अब उस खेमे के अंदर आर्यभट्ट की तरह ज्ञान का समुंदर बहने लगेगा और शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया रिजल्ट को भी गलत ठहरा देगा और अपने आर्यभटिय  ज्ञान के आगे शिक्षा विभाग को मजबूर कर देगा कि वह अपने प्रश्नों के उत्तर को सुधारकर  दुबारा TET का परिणाम घोषित करें, सरकार अनुत्तीर्ण लोगों के लिए दुबारा रिजल्ट दे तो देगी मगर यहीं से अभ्यर्थियों के बीच सरकार द्वारा आपसी विभाजन का  बीजारोपण भी कर दिया जाएगा, समझ ही गए होंगे आप ,यानी एक जो पहले पास किया और एक जो TET बाद में पास किया।

अब बिहार के सभी बेरोजगार शिक्षक अभ्यर्थियों के पास आ जाएगा TET सर्टिफिकेट के रूप में  ऐसा रामबाण जो बेरोजगारी रूपी रावण को पल भर में ध्वस्त कर देगा,लेकिन उसके लिए जरूरत पड़ेगी सेतु द्वारा लंका को पार करना अर्थात बिहार सरकार द्वारा स्कूलों में नियोजन करने के लिए शिक्षकों की भर्ती निकालना जो बिहार सरकार के द्वारा असंभव नजर आने लगेगा.. अभ्यर्थी टूटने लगेंगे,कल तक जो अभ्यर्थी टीचर की नौकरी जॉइन कर मुंगेरीलाल के सपने देखने लगेंगे,जैसे पुरुष अभ्यर्थी नौकरी के बाद  सुशील जीवन संगिनी का ख्वाब देखेंगे तो महिला अभ्यर्थी नौकरी के बाद सिबिल सर्विस वाला पतिदेव,बहुत तो भविष्य में कमीशन का सपना भी देखने लगेंगे, पर सब धूमिल होते नजर आने लगेगा,बाहर से अच्छे पैकेज की नौकरी छोड़ अपने माटी की सेवा करने वाले का ख्वाब माटी में मिलते नजर आने लगेगा, अभ्यर्थियों के साथ साथ उनके परिवार की भी उम्मीदें टूटने लगेगी-जो कल तक अपने  नाती पोता को अपनी गोद में खेलाने का सपना देख रहे थे, वह तो अब यह सोचने लगेंगे कि कहीं मेरे बेरोजगार कुँवारे बेटे को ही मेरी अर्थी का कांधा ना देना पड़ जाए।

सब्र का बांध टूटने लगेगा और यहीं से अभ्यर्थी को रामायण का सेतु निर्माण करना छोड़ महाभारत के  लिए कुरुक्षेत्र में उतरने की तैयारियां करनी पड़ेगी और सीधे सरकार के गतिविधियों एवं सरकार के क्रियाकलापों पर हमला पर हमला करना पड़ेगा ध्यान रहे यही से अभ्यर्थियों का हाल महाभारत की कहानी की तरह हो जाएगा कि अगर जीत गए तो अर्जुन और हार गए तो अभिमन्यु।


आंदोलन का दौर और तेज हो जाएगा,अब सीधे द्वंद युद्ध की जरूरत पड़ेगी, और इस द्वंद युद्ध मे भाग लेने के लिए अभ्यर्थियों के शरीर में विटामिन और प्रोटीन की भी आवश्यकता पड़ेगी, बिना विटामिन प्रोटीन के आप इस निकम्मी सरकार से लड़ नही पाइयेगा क्योंकि अब आंदोलन कोई छोटा-मोटा आंदोलन नहीं होगा अब आंदोलन अर्थात विरोध सीधे आलाकलाम के समक्ष होगा भर्ती की मांग करने के लिए सचिवालय से लेकर गर्दनीबाग जाइयेगा मगर आपकी एक न सुनी जाएगी आप भूख हड़ताल पर बैठ जाईयेगा,गिड़गिडाइयेगा,चिल्लाइयेगा, तड़पिएगा मगर  सरकार आपकी एक न सुनेगी और तो और आपको डंडा,  आसूगोला  से सेवा देने के बाद आपको पीएमसीएच अस्पताल के बेड तक पहुंचा देगी।

इधर आप पर सरकार के द्वारा कराए गए लाठियों के प्रहार से शरीर तो मजबूत होगा मगर दिमाग धीरे-धीरे कमजोर होने लगेगा दिमाग में बहुत सारी बातें आएगी जिसमें आत्महत्या वाली मनोब्रिति भी आ सकती है,आ क्या सकती है आएगी ही,बहुत लोग तो आत्महत्या भी कर भी लेंगे पर घरवाले समझेंगे कि कोई रोग हुआ होगा और मर गया,मगर वो क्या जाने कि सरकार के लेटलतीफी ने जान ले ली,
याद रहे जो बच जाएंगे उसको समाज भी जिंदा नही रहने देगा क्योंकि समाज द्वारा उनसे हमेशा पूछा  जाएगा कि तुम्हारी नौकरी कब होगी?तुम्हारी नौकरी कब होगी?कहीं तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो कि तुम टीईटी का परीक्षा पास कर समाज का निर्माण अर्थात शिक्षक बनने वाले हो,अर्थात समाज भी अभ्यर्थियों को दीमक के तरह खत्म करेगी।

इतना कुछ होने के बाद मान लीजिए अगर सरकार आपके लिए भर्ती निकाल भी देती है तो सरकार द्वारा सिस्टम आपको हिला कर फेंक देगा क्योंकि सरकार भर्ती तो निकालेगी मगर इस ऑनलाइन के जमाना में आपको सारे सर्टिफिकेट का फोटो कॉपी करा कर 9000 से अधिक नियोजन इकाइयों में दौड़ा दौड़ा कर फॉर्म भरने के लिए मजबूर कर देगी, आप पूरी तरह से हिल जाईएगा टूट जाईएगा और आप को फोटोकॉपी कराकर पैदल,साइकिल से, बस से,रेलगाड़ी से या अपने साधन से पंचायत में फॉर्म जमा करने के लिए निकलना पड़ेगा और फॉर्म कहां जमा होगा मैं बताता हूं,पंचायत से शुरू करता हूं- पंचायत शिक्षक का फॉर्म मुखिया के दालान पर जमा होगा, आप मुखिया के दलान पर जमा करने जाइएगा तो मुखिया अपने 5,10 लंठ लोगों के साथ बैठा होगाऔर बोलेगा कि जाओ वहां पर फॉर्म जमा कर दो तो आप जाइएगा तो मालूम चलेगा कि वह मुखिया का नाती या उसका बनिहार(नौकर) है जो आपके रिसीविंग पर सिग्नेचर करके आपको देगा, आप चाह कर भी कुछ बोल नहीं पाईएगा क्योंकि वह मुखिया 5,10 लंठ लोगो के साथ बैठा ही हुआ है मगर उसके साथ साथ 2,4 हथियार भी लिये हुआ है हथियार समझते हैं ना साहब लाठी,डंडा।
साहब कभी-कभी तो मोमबत्ती जलाकर पंचायतों में खोजना भी पड़ेगा है कि किसको फॉर्म जमा करें क्योंकि आप उसे फॉर्म जमा करने के लिए पकड़ियएगा और वह आपको देखकर भागेगा क्योंकि वह पहले से सेटिंग कर लिया रहता है कि कितना और किसका फॉर्म लेना है,अगर मान लीजिए पकड़ के दे भी दीजियेगा तो उ आपका फॉर्म ही फाड़ के फेंकवा देगा या ये कहे कि आपका फॉर्म ही गायब करवा देगा,पगला जाइयेगा यह सब देखकर, साहब ब्लॉक की स्थिति तो पूछिए मत जबआप ब्लॉक में जाइएगा तो गंगा जी का दर्शन भी हो सकता है कमर भर पानी में घुसकर के ही फार्म काउंटर तक पहुंच पाईएगा तब जाकर आपका फॉर्म जमा होगा,रो पड़ियेगा साहब रो पड़ियेगा क्योंकि इसी फॉर्म को भरने के लिए लाखों रुपए आपने कर्ज लिए होते हैं जो उसको चुकाना अब मुश्किल लगने लगेगा

हजारो नियोजन इकाई में घूम घूम कर अपना तो कर्तब्य निभा लीजियेगा, मगर जब नियोजन इकाई अर्थात जहां फॉर्म जमा किए हैं उसके काम करने की बारी आएगी तब साहब मत पूछिए,मालूम चलेगा कि वहां जानबूझकर आपका औपबंधिक सूची, मेधा सूची में नाम, पता, गाँव, के नाम का स्पेल्लिंग भी गलती कर देंगे ताकि आपका फॉर्म ही रिजेक्ट हो जाये और अपने मनचाहे को आसानी से नौकरी दे सके।शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए सारे गाइडलाइन को वह फॉलो ही नहीं करेंगे,सारे आदेश को वह चकनाचूर करते चले जाएंगे, अधिकारियों का कोई वैल्यू ही नहीं रह जाएगा, तारीख पे तारीख तारीख पे तारीख तारीख पे तारीख सारे तारीख फेल हो जाएंगे, और आपका कोई भी नियोजन की क्रिया अपडेट नहीं हो पाएगा, पागल जैसा हाल हो जाएगा आपका पागल जैसा,अब नानी याद आने लगेगी आपकी नानी,मालूम चलेगा इसी बीच अभ्यर्थी भी आपस में ही लड़ने कटने के लिए मजबूर हो गए।

दिल आपका तब टूटेगा है जब आपके द्वारा बहुत प्रयास करने के बाद स्कूल का दरवाजा अब आपके आंखों के सामने जैसे ही नजर आएगा तो सिस्टम द्वारा पूर्व में की गई गलती का भुगतान भी आपको ही चुकाना पड़ेगा,उदाहरण दे देता हूं बीच में 18 महीने का कोर्स लेकर एनआईओएस डीएलएड आ जाएगा और बोलेगा कि हम भी डीएलएड किए हैं हमारे भी इस 18 महीने का कोर्स का नाम डीएलएड है अब हमको भी नौकरी चाहिए,अब आप ही सोचिये सरकार के लेट लतीफी के कारण एक तो ऐसे ही बेरोजगारों की भीड़ पहले से इसमे है, अब NIOS जो पहले से ही रोजगार में है वो भी धक्का धुक्की करने लगेंगे अब आप ही बताइए साहब?अगर लोग अपने बेटे का नाम राम रख देंगे तो अब आप लोग  रामचंद्र जी मानकर उनकी पूजा तो नहीं कीजियेगा? यानी उन लोगों को बाहर करने के लिए शिक्षक अभ्यर्थियों को ही लड़ना पड़ेगा, सरकार कुछ नहीं करेगी, पटना से लेकर दिल्ली तक अभ्यर्थियों को ही दौड़ना पड़ेगा, साहब और  यह अभ्यर्थी घर परिवार छोड़कर दौड़ते भी हैं,बहुत परेशान होते हैं यह अभ्यर्थी कभी-कभी  राजनीतिक के शिकार भी हो जाते हैं क्योंकि जो नेता इस मैटर को ठीक से नही  समझते वह भी अपने वोट बैंक के लिए इसके पक्ष या विपक्ष में बोलना शुरू कर देंगे,राइट टू एडुकेशन की धज्जियां उड़ाने पर तूल जाएंगे क्योंकि सामने चुनाव रहता है और शिक्षक नियोजन चुनावी मुद्दा बनते नजर आने लगता है,एकदम परेशान हो जाइयेगा आप।

इतनी बदतर स्तिथी होने के बाद अभ्यर्थियों का नियोजन होगा कि नही होगा यह कहना बहुत मुश्किल है,अतः आप सभी अभ्यर्थी यह भी आज जान लीजिए कि बिहार के बच्चों को तो अब लगता है कि IAS बनना आसान है मगर शिक्षक बनना मुश्किल।


लेखक-चंदन कुमार सिंह
   प्रशिक्षित शिक्षक अभ्यथी
               आरा(भोजपुर)