Tuesday, June 15, 2021

मेरी विडंबना

मेरी विडंबना    


        

2015 का अप्रैल के वो दिन, जब शिक्षा के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए मेरे 72 वर्षिय बृद्ध पिता जी ने बीस हज़ार रुपये हाँथ में थमाते हुए कहा कि, बेटे इस सत्र में (बी०एड) में एडमिशन ले लेना।मैं ख़ुशी से फूले नही समाया।चल दिये किसी अच्छे कॉलेज की तलाश में, मंजिल मिल भी गयी।मैंने फीस पता किया बताया गया 133800 रुपये।काउंटर पर उस क्लर्क की कड़कती आवाज "की क्या करना है?में पता ही चला कि कब मैंने सहमति दे दी।मैंने एडमिशन ले ली और घर वापसी में पूरे रास्ते ये सोचता रहा कि एड्मिसन तो मिल गया अब उतनी फीस कहा से आएगी?खैर मैं घर पहुँचा और एकांत में बैठ गया।थोड़ी देर बाद पिता जी आये उन्होने पूछा एड्मिसन हो गया?मैंने कहा जी हो गया।फिर उन्होने पूछा कि कितने फी लगेंगे?मैंने फीस बताकर बात बदल दी ताकि वो फीस सुनकर चिंतित न हो जाएं,क्योंकि मैं सामान्य वर्ग के एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंधित था।और इस वर्ग वाले लोगो की तो पूरी जिंदगी परिवार,शिक्षा और समाज की वित्तिय असमानता में अपना सामंजस्य बिठाने के जद्दोजहद में ही बितती है।मेरी कक्षा शरु हो चुकी  थी।मैंने प्राध्यापक से बात करके अपने फीस को किस्तो में देने के लिए सहमति ले ली थी।लगभग  3 महीने बीते ही थे कि, कॉलेज से फ़ोन आया कि आप अपनी फीस की क़िस्त कब तक जमा करेंगे?मैंने लडखडाते हुए आवाज में किसी तरह एक डेट दे दी।आंखों के सामने अंधेरा छा गया।मैं पार्ट टाइम के लिए शाम के समय काम भी करता और बच्चों को ट्यूशन भी देता था। घर के खर्च और व्यक्तिगत खर्च के बाद हजार रुपए बच जाते थे।इतने कम रूपयो में फीस की क़िस्त भी पूरी नही हो पा रही थी।पिता जी से भी नही मांग पा रहा था क्योंकि वो लंबे समय से दमा की बीमारी से पीड़ित थे,और उनके रुपये उनकी दवाई में ही खर्च हो जाते थे।किसी तरह से मैंने 10000 रुपये जुटा लिए थे और आगे के लिए सोच ही रहा था, कि पीछे से मेरे पिता के हांफती सांसो के सनसनाहट के बीच उनका हाथ मेरे कंधो पर था।लडखडाते हाथो से उन्होंने अपनी धोती की गाँठ खोलते हुए कुछ रुपये मेरे हाथ मे रखते हुए बोले दस हजार है कुछ और जोड़ के फीस भर देना।मैं नम आंखों से स्तब्ध रह गया।अगले ही दिन मैं कॉलेज जाकर फी भर दी।एक साल बीत चुके थे पहले साल की परीक्षा भी समाप्त हो चुकी थी।परीक्षा पास करने के बाद दूसरे साल में प्रवेश करते ही ये डर सताने लगा था कि अब फीस कहा से ला पाऊंगा?कक्षाएं आरम्भ हो चुकी थी।मैं समझ गया था कि आगे की राह इतनी आसान नही होने वाली है।कुछ दिन और बीत गए।एक दिन कॉलेज की छुट्टी के दिन मैं काम पर गया था।अचानक घर से फ़ोन आया कि जल्दी घर आइये।मैं घर पहुँचा तो देखा कि मेरे पिता की अंतिम साँसे चल रही है।इससे पहले की मैं कुछ कर पाता की उनका शरीर हमेशा के लिए शांत हो चुका था।एकलौते पुत्र होने के नाते मुझ पर पूरे परिवार की जिमेवारी आ चुकी थी,जिसमे मेरी बूढ़ी माँ, पत्नी और दो बच्चे शामिल थे।दुखो के पहाड़ टूटने के बाद भी मैंने ठान ली कि हार नही मानेंगे।कॉलेज में कभी शैक्षणिक भ्रमण  के नाम पर तो  कभी सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर अलग ही कहानी चल रही थी। कुछ बच्चे चंदे जमा कर रहे थे।मैंने ये कहकर मना कर दी की मेरे पास पैसे नही है। खैर किसी तरह मैंने बी०एड पूरी की और अच्छे अंको से पास कर गया।जब डिग्री हाथ मे आयी तब तक मैं कर्ज में डूब चुका था  क्योंकि लगभग डेढ़ लाख रुपये खर्च हो चुके थे। अभी इतनी जल्द मुसीबत कहा खत्म होने वाली थी? अभी मुझे अपने परिवार,समाज और अपनी महत्वकांक्षा पे खरा जो उतरना था।आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए मैं कड़ी मेहनत करने लगा। लगभग 8 महीने में मैंने सारे लोगो के पैसे वापस कर दिए। साथ साथ मैं अपने शिक्षक पात्रता परीक्षा की तैयारी में भी लगा रहा, इस उम्मीद से की शायद शिक्षको की बहाली शुरू हो।ईश्वर और पिता के आशीर्वाद से मैँ राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा की दोनों पेपर में सफल हो गया। अब मेरे चेहरे पे आत्मविस्वास साफ दिख रहा था।साथ साथ ख़ुशी भी थी कि अब मैं अपने तथा पिता के सपने को शिक्षक बनकर समाज के बच्चों का सर्वांगीण विकास कर पाऊंगा।कुछ दिनों के बाद समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला कि बिहार में लगभग एक लाख शिक्षकों का नियोजन होना है।मेरे खुशी का ठिकाना नही रहा कि चलो अब कुछ उम्मीद की किरण नजर आयी।जुलाई-अगस्त 2019 शायद यही समय रहा होगा, बिहार शिक्षा विभाग के तरफ से विज्ञापन जारी हुआ।कुछ दिनों के बाद बहाली संबंधित शेड्यूल भी जारी कर दिया गया।अब मैं अपने सारे ओरिजिनल सर्टिफिकेट को आर्डर में लगा कर ये देखने लगा कि इसमें कोई कमी तो नही?मैं अगले ही दिन ब्लॉक जाकर अपने निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दे दी।शेड्यूल में अंकित तिथि के अनुसार मैं पूरी तरह तैयार था। फिर यहाँ से शुरू होता है मेरे जैसे हज़ारो अभ्यर्थियों के भावनाओ के साथ निर्मम खिलवाड़।

विभाग के द्वारा आदेश जारी कर शेड्यूल परिवर्तित कर दिया गया।अंततः फिर से वो डेट आयी जब विभिन्न नियोजन इकाई में आवेदन जमा लिया जाना था।फॉर्म जमा करने की तिथि के 4-5 दिन बीत जाने के बाद मैं लगातार BRC और ब्लॉक के चक्कर लगा रहा था। सभी जगह यही जानकारी मिल रही थी अभी फॉर्म जमा लेने की कोई सूचना नही है खैर.. विभाग के लोग देर से जागे और आवेदन जमा लिया जाने लगा।पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत इस डिजिटल इंडिया में अभी पंचायत दर पंचायत की दौड़ लगाना बाकी था।फिर मैंने अपने पड़ोस के भैया से उनकी मोटरसाइकिल की चाभी इस शर्त पे मांगी की मैं इसमें पेट्रोल डलवाता रहूँगा।समय ऐसा हो गया था कि रातें फॉर्म भरने में गुजर जा रही थी और दिन फोटो कॉपी,टैग,फ़ाइल,बोनफिक्स खरीदने और समय पर संबंधित BRC में जमा अभ्यर्थियों की भीड़ के बीच फॉर्म जमा करने और रिसिविंग पर्ची लेने की जद्दोजहद में ही बीत जा रहे थे।कई बार घर वापस आते आते रात भी हो जाये तो कोई गम नही।ये सिलसिला लगातार चलता रहा अभ्यर्थियों की इतनी भीड़ और सामान्य वर्ग में कम रिक्ति को देखकर मन मे असुरक्षा की भावना भी आ रही थी।

                   अंततः लगभग 40 नियोजन इकाई में मैं फॉर्म जमा कर चुका था,कक्षा 1 से 5 तक के लिए। 6 से 8 में सीट नही होने के कारण मैंने 1 जगह भी आवेदन नही कर पाया।

कभी कभी मैं ये सोचता हूँ कि सारी बाधाये इसी बहाली का इंतजार कर रही थी कि कब ये बहाली निकले ?और हम अपने विभिन्न रूपो के द्वारा इसमे विघ्न उत्पन्न करें।विवाद,बी०एड,डीएलएड,ब्लाइंड कोर्ट केस इत्यादि इनके  उदाहरण है।रही सही कसर विश्वव्याप्त कोरोना महामारी ने भी पूरी कर ली।

अभी हम हज़ारो अभ्यर्थियों की स्थिति ऐसी है कि  परिवार के लोगों के उम्मीद से डर नही लग रहा है बल्कि घर से बाहर मुहल्ले के लोगो से लग रहा है, जो ये व्यंग करते है कि "बबुआ बीएड कर लिए हो तो कहि न कहि मास्टर होइए जाओगे"अब उनको कौन समझाए की मास्टर बनने के लिए बीएड ही काफी नही है।

लगभग  2 वर्ष बितने को आये इस एक वर्ष में मेरे जैसे न जाने कितने अभ्यार्थी अखबारों की लागातार बदलने वाली खबरें, यूट्यूब के बहाली वाले चैनलों को सब्सक्राइब करके चिंतित रहते है कि कब कहा से क्या अपडेट मिल जाये?किसी को निराशा तो किसी को खुशी।यही सिलसिला चल रहा है।सरकार क्या बहाल करना चाहती है? मानसिक और आर्थिक रूप से शोषण का शिकार  हुए अवसादग्रस्त शिक्षक या समाज को नई दिशा देने के साथ -साथ देश एवं राज्य के विकास के बुनियाद रखने वाले शिक्षकों को?अब हम हजारों अभ्यार्थियों की ये अपेक्षा है कि बहाली ससमय पूर्ण हो ताकि लंबे समय से आश लगाए अभ्यर्थियों के सपने पूरे हो सके।। 

    एक शिक्षक नियोजन के पीड़ित अभ्यथी की कहानी

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