Monday, May 3, 2021

94000 शिक्षक नियोजन को लेकर अभ्यार्थियों ने किया ट्वीटर पे प्रदर्शन

 बिहार में गत वर्षों से चली आ रही बिहार शिक्षक बहाली की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है। पिछले कई वर्षों से शिक्षक अभ्यर्थी इस इतंज़ार में बैठे है कि कब हम विद्यालय पहुँचेंगे। सरकार व शिक्षा विभाग के सुस्त रवैये के कारण उनका यह इतंज़ार कब खत्म होगा, यह कहना अब मुश्किल साबित हो रहा है।



एक तरफ बिहार में कोरोना का कहर अपने चरम सीमा पर है। कई शिक्षक अभ्यर्थी समेत उनके परिवार इससे जूझ रहे हैं। इस कहर के बीच भी शिक्षक अभ्यर्थियों की अपनी बहाली पूर्ण करने की चिंता साफ देखी जा सकती है। यह शिक्षक अभ्यर्थी सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार अपनी आवाज उठाते आये है, सरकार से मांग करते नजर आते है कि बहाली प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए। शिक्षक अभ्यर्थी की यह माँग सोमवार सुबह ट्विटर पर नजर आने लगी।

वो लगातार #MENTIONING_BLIND_CASE टैग के साथ ब्लाइंड फेडरेशन के केस को अदालत में मेंशन करने की बात कर रहे थे।



आपको यह बताते चले कि बिहार के माननीय शिक्षामंत्री विजय कुमार चौधरी जी विधानसभा सत्र के दौरान इसे अर्जेंट बताते हुए बीते 5 अप्रैल को ही केस से लीव मिल जाने की बात रखे थे। पर यही अर्जेंट केस 195 नंबर पर लिस्टेड हुई जिसके कारण उसकी सुनवाई अब तक नहीं हो सकी।


ये केस 94000 प्राथमिक शिक्षक बहाली की है जिसकी प्रक्रिया 2019 में प्रारंभ हुई थी। इसके साथ माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षक बहाली भी सरकार व शिक्षा विभाग के ढुलमुल रवैये के कारण विभन्न मामलों में फँसती नजर आती है।


ये शिक्षक अभ्यर्थी कोरोना से तो जूझ रहे है साथ ही घर की तंगी स्थिति इन्हें कोरोना से ज्यादा भयावह हो गई है। पिछले एक वर्ष से कोचिंग, ट्यूशन या प्राइवेट संस्थान बन्द होने के वजह से जो भी इनकी आमदनी के स्त्रोत थे वो अब बन्द हो चुके है। 


बिहार सरकार व शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी अब इस शिक्षक बहाली प्रक्रिया पर कुछ बोलने से बचते ही नजर आते है। उधर सरकार की निष्क्रियता व इधर शिक्षक अभ्यर्थियों की सोशल मीडिया पर सक्रियता, इसकी स्थिति को स्पष्ट रूप में सामने लाती हैं।

ये देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक शिक्षक अभ्यर्थी इसका इंतज़ार करती है और कब सरकार इस पर खुलकर अपनी बात रखती है।

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