Sunday, May 23, 2021

बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर उठ रहे है सवाल क्योंकि बिना शिक्षक के पढ़ रहा है बिहार

 बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर उठ रहे है सवाल क्योंकि बिना शिक्षक के पढ़ रहा है बिहार

पटना: बिहार में वर्तमान में प्राथमिक शिक्षा की स्तिथि काफी दयनीय है क्योंकि बिहार में विद्यालयो की संख्या में बढ़ोतरी हुई , छात्रों के नामांकन में भी इजाफा हुआ परंतु शिक्षक की भर्ती लंबे अरसे से बंद है जिस कारण बिहार के छात्र बिना शिक्षक के ही पढ़ रहे है इस बात को हम कुछ आंकड़ो के माध्यम से समझते है जो राज्य और केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 में जारी किया गया है। विदित रहे की उसके बाद ना सरकार ने डाटा जारी किया ना ही शिक्षको का नियोजन किया है| राज्य में पिछले सात साल से कोई शिक्षक बहाल नहीं हुए है |


बिहार राज्य में कुल 41762 प्राथमिक एवं 26523 मध्य विद्यालय है।बिहार के प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 3276 जहाँ 1 शिक्षक,12507 विद्यालय जहाँ 2 शिक्षक , 10595 विद्यालय जहाँ 3 शिक्षक,7170 विद्यालय जहाँ 4 शिक्षक,4366 विद्यालय जहाँ 5 शिक्षक,3874  विद्यालय जहाँ 5 से अधिक शिक्षक है।यानि की बिहार के लगभग 42 हजार प्राथमिक विद्यालय में से कुल 3874 विद्यालय ही कुल मिलाकर कुछ हद तक शिक्षकों को बच्चों के लिए उपलब्ध करा रहा है |


अब बिहार के मध्य विद्यालय का हाल देखिये 

बिहार के मध्य विद्यालयों की संख्या 3462 जहाँ 5 से कम शिक्षक,2831 विद्यालय जहाँ 5 शिक्षक , 3507 विद्यालय जहाँ 6 शिक्षक,3567 विद्यालय जहाँ 7 शिक्षक,3397 विद्यालय जहाँ 8 शिक्षक,12406  विद्यालय जहाँ 8 से अधिक शिक्षक है।

पूरे बिहार राज्य में 8004 ऐसे विद्यालय है जहाँ शिक्षक छात्र का अनुपात 100 से ज्यादा का है। जबकि पूरे बिहार राज्य का शिक्षक छात्र का अनुपात 57 है। सीतामढ़ी जिला का शिक्षक छात्र का अनुपात 75  है और नालंदा का शिक्षक छात्र का अनुपात 42 है। 


बिहार में 2007-08 में सरकारी विद्यालयों की संख्या 66627 थी जो 2015-16 में बढ़कर 70934  हो गई।



बिहार के प्राथमिक विद्यालयों में 2007-08 में कुल बच्चों का नामांकन 14,629,233 था जो 2015-16 में बढ़कर 16,170,088 हो गया।



बिहार में 2021-22 सत्र के लिए प्रवेशोत्सव : नामांकन अभियान के तहत पूरे बिहार में  24 मार्च 2021 तक कुल 32,08,503 बच्चों का नामांकन हुआ है।



बिहार के प्राथमिक विद्यालयों में 2007-08 में शिक्षक छात्र अनुपात 54 था  जो 2015-16 में बढ़कर 57 हो गया। क्योकि शिक्षको की बहाली कई वर्षो से नही हुई है। 

राज्य में कुल शिक्षको की संख्या 383176 है। ये बिहार सरकार के डाटा 2015-16 के अनुसार है जिसके बाद ना डाटा आया ना शिक्षक बहाली हुई| विदित हो की शिक्षा मंत्री खुद सदन में ये मानते है की बिहार में सवा तीन लाख शिक्षकों के पद रिक्त है अब बिहार की शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है | ये आंकड़े और भी भयावह हो गए होंगे क्योंकि 2015 से शिक्षक कम तो हुए लेकिन भरने की कार्रवाई नहीं की गयी |



ये जो तथ्य आप ने अभी पढ़ा ये तो विहार की वर्तमान शिक्षा की स्थिति को बता रहा हैं लेकिन हमारा बिहार ऐसा नही था प्राचीन काल में नालंदा तक्षशिला जैसी विश्व विख्यात शिक्षण संस्थान हमारे बिहार में हुआ करती थी जहाँ पर विश्व भर के छात्र पढ़ने आते थे

वो गौरव बिहार को पुनः कब प्राप्त होगा ये तो हमारी सरकार के गर्व में छुपा हैं

RTE Act 2009 के तहत 1से 8 तक की शिक्षा को मौलिक अधिकार में शामिल कर दिया गया आज हमारी सरकारें बच्चों के मौलिक अधिकार का हनन कर रही हैं मौलिक अधिकार का हनन करना किसी अपराध से कम नहीं हैं।



बिहार प्रारंभिक शिक्षक नियोजन(@btetctet) ट्विटर और फेसबुक पेज के द्वारा 30 मार्च 2021 से ही हैश टैग 

#बिना शिक्षक के पढ़ रहा है बिहार  द्वारा इन बातों को लगातार बिहार सरकार और शिक्षा मंत्री तक पहुचाने का प्रयास किया जा रहा है।


बिहार प्रारंभिक शिक्षक नियोजन(@btetctet) ट्विटर पेज के द्वारा सभी शिक्षक अभ्यथियों से 24 मई को 11 बजे से अपना एक दो मिनट का एक वीडियो बनाकर हैशटैग #Bihar_Needs_Teachers का उपयोग कर ट्विटर पर ट्वीट और रिट्विट करने आवाहन किया गया है इस वीडियो में अभ्यथी  नियोजन नहीं होने से अपना  मानसिक ,आर्थिक और सामाजिक  तकलीफ को बतायेगें और कोरोना काल में उत्पन्न हुई परेशानी को सरकार तक पहुचाने का प्रयास करेंगे।

बिहार के मासूम बच्चों को शिक्षक आखिर कब तक नसीब होगा। इस सवाल का जवाब तो शिक्षा विभाग ही दे सकता है।

1 comment:


  1. क्या बिहारी के बच्चों को नहीं है शिक्षा का अधिकार???
    कैसे पढ़ेगा बिना शिक्षक के बिहार ??
    क्या बिहारी जिंदगी भर दूसरे राज्य में जाकर मजदूरी करता रहेगा??
    योग्य शिक्षक होने के बावजूद 2.8लाख शिक्षक पद रिक्त। 2 साला से चल रही 1.61लाख पद पर चल रही बहाली

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